Thursday, October 3, 2019

Jind distt. इससे बहार कुछ नही आएगा

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Jind distt.

जींद

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जींद जिले की स्थापना कब हुई 

1 नवम्बर 1966 को हरियाणा के गठन के समय मे हुई 
सबसे छोटा जिला था जींद 
यह हरियाणा  के उत्तर मद्य में सिथित है 

जींद की सीमा पंजाब राज्य से लगती है 

जींद एक मात्र राज्य को छूता है पंजाब को 
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जींद को हरियाणा का हार्ट कहा जाता है 

क्योंकि यह हरियाणा के बीच मे है 

जींद में लिगांनुपात कितना है 

871 

जींद जिला रोहतक मंडल के अधीन आता है 
जींद जिले के अधीन उपमंडल जींद, सफीदों, नरवाना, जुलाना

विधानसभा क्षेत्र

कौन कौन सी विधानसभा सीट जींद जिले में है

उचाना, नरवाना ,जुलाना, सफीदों, जींद 

लोकसभा क्षेत्र

जींद जिले किस लोकसभा क्षेत्र के अधीन आता है 
हिसार ,सोनीपत,सिरसा, 

जींद जिला का इतिहासिक परिचय


जींद के नाम कैसे रखा गया

पांडव ने यहां पर पूजा की उस समय जींद की देवी जयंती देवी की ओर उनके नाम पर यह पर मंदिर बनवाया फिर यह पर लोग आकर रहने लगे फिर इस क्षेत्र को जयंत पूरी के नाम से जाना जाने लगा फिर बाद में इसका नाम बदलकर जिद कर दिया गया जो अब वर्तमान में है 

जब जींद के नामकरण हुआ तब मुगलकाल 
मुगलकाल की स्थापना 1526-1857 
के प्रमुख शासक अकबर जो 14 वर्ष की आयु में शाशक बना था यह हुमायु का पुत्र इसकी माता का नाम हामिद बेगम था 

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अकबर का शाशन काल 1556-1605 

इस दौरान अकबर ने अपने साम्राज्य को बॉट दिया था वे जो बाँटा गया था उनका नाम था 5 सरकार 
* सरकार ए सरहिंद
* सरकार ए दिल्ली 
* सरकार ए मेवात 
* सरकार ए रेवाड़ी 
* सरकार ए हिसार 
इन पांचों सरकारों के अधीन 70 परगने थे प्रत्येक सरकार के अधीन 14 परगने थे 
हिसार के अंदर जोई 14 परगने थे उनमें से जींद एक था

 जॉर्ज थॉमस 

इन्होंने 1797 में हंसी को अपनी राजधानी बनाया फिर 1798 में जींद पर भी अपना अधिकार कर लिया

1798 से पहले जींद पर किस का। अधिकार था

जींद के क़िला
जींद के किला 1795 में बनाया गया उसके बाद जर्जथोमस ने अपने अधीन में लिया ये गणपत सिंह द्वारा बनाया गया जो जींद के स्थानीय शासक थे उस समय जींद का साम्राज्य गणपत के ही अधीन था
1776 में इस किले को गणपत सिंह ने अपनी राजधानी बनाया था
1755 में महाराजा गणपत ने इस क्षेत्र को अपने अधीन किया था इससे पहले यह क्षेत्र अफगान शाहक के अधीन था

1761 में मराठा का साम्राज्य था और मराठा  अहमद शाह अब्दाली से हार जाता है

Jind के विद्रोह 

जींद के विद्रोह 1914 में हुआ  इसकी शुरुआत प्रताप सिंह( प्रमुख विद्रोही ) और फूलसिंह ने की ये अंग्रेजो के विरुद्ध था
उस समय अंग्रेजो की हार हो रही थी
तभी अंग्रेजो ने आपसी फूट का फायदा उठाते हुए
पटियाला नाभा कैथल इन तीनो रियासतो से सहयोग की अपील की
ओर इन तीनो ने सह्योज दिया सह्योज इस तरह से दिया कैथल ओर नाभा ने सह्योज दिया और अंग्रेजो ने जो युद्ध था स्वयं की की बजाय वह युद्ध पटियाला के शासक पर कर दिया पटियाला के शासक ने पूरा सहयोग दिया तो परताप सिंह की हार हुई फिर पटियाला शासक ने परताप सिंह को लाहौर से गिरफ्तार किया गया और उसको अंग्रेजो के अधीन शॉप दिया और पटियाला रियासत को जिंद रियासत से मजबूती मिलि  ओर जींद रियासत पर एक बार फिर पटियाला रियासत के सम्पूर्ण अधिकार हो गया और जो जींद रियासत के अधिन छोटी रियासते थी जैसे लोहारू दुजानु कलानौर सांपला इन रियासतों पर भी सम्पूर्ण रूप से पटियाला रियासतों का अधिकार हो गया
इसके बाद

डुंडवा तीर्थ स्थल

यह हरियाणा के जींद जिले में सिथित है
अभिजाण सकुतुल्य में इसकी चर्च मिली जब महाभारत के युद्ध के दौरान पांडवो की जीत हुई  और कौरवो की हर निश्चित हो चुकी थी उस समय अपने साथियों को अपने भाइयों को मरता हुए देखकर दुर्योध्न युद्ध को छोड़कर भाग गया और जींद पास एक प्रमुख स्थान है इक्स और वहाँ पर एक स्थान है डुंडवा वहाँ पर आकर छुप जाता है
फिर भीम उसको ढूंढकर उसकी हत्या कर देता है ओर युद्ध जितने का अंतिम एलान कर दिया जाता है

इसी लिए इसका नाम डुंडवा तीर्थ सथल पड़ा 

जहा भीम ने दुर्योधन को मारा ओर धर्म की जीत कि यहाँ से ही
 महाभारत की जीत का ऐलान माना जाता है
ओर यह वही स्थान है जहाँ से उन्होंने जयंती देवी का नाम लेकर पूजा अर्चना करके युद्ध मे हिस्सा लेकर शुरुआत की थी
इसी के पास एक गांव शिथित है

इक्स ये उस समय एक प्रमुख नगर होता था 

महाभारत कालीन का शुरुआत में दुर्योध्न यह आकर छुपा था फिर भीम ने स्थानीय लोगो की मदद से इसका पता लगाया फिर दुर्योध्न भीम को डुंडवा में मिला और वही भीम ने दुर्योधन को मार दिया और वह पर एक तीर्थ स्थल बना दिया गया

 Jind जिला का धार्मिक परिचय

सफीदों

 वर्तमान में एक विधानसभा क्षेत्र भी है और विधानसभा क्षेत्र के साथ साथ ये एक उपमंडल भी है
सफीदों को वर्तमान में किस नाम से जाना जाता है

पहले इसका नाम था सर्पदमन


सफीदों का नाम सर्पदमन कैसे पड़ा
जब महाभारत का युद्ध जितने के बाद पांचो पांडव ओर साथ मे द्रोपती ओर उनके साथ एक जीव ओर था कुत्ता
कुरुक्षेत्र त्से  चलते है जीत का सखनाद होने के बाद अपने दुखों का प्रयाश्चित करने के लिए वो हिमालय पर्वत पर जाते है तो उनके साथ चलता है उनका पुत्र यानी अभिमन्यु का लड़का अर्जुन का पोत्र ( परिशिचित)
परिशिचित एक दम्पति व्यक्ति था उसका परिवार था तो अर्जुन ने उसे कहा कि आप यह पर रहे और हमारे बाद हमारे साम्राज्य का भोग करे पाप हमने किये है ना कि आपने हम अपने पांपो का प्राश्चित करते है अपना साम्राज्य परिशित के अधीन करने के बाद वे वह  से चले गए परिशित के अधीन काफी साम्राज्य होने के बाद ऐसा माना जाता है परिशित एक घमंडी शासक था और इस तरह अपने साम्राज्य के विस्तार के दौरान गुमते गुमते वह पहुच गया ( सर्पदमन ) क्षेत्र में उस समय उस क्षेत्र का कोई नाम नही था वह पर एक ऋषि तपस्या कर रहे थे तो उन्होंने ऋषि को पानी पिलाने को कहा ऋषि भगति में लीन थे ऋषि ने उनकी आवज नही सुनी तो उन्होंने वहाँ एक मरे हुए साँप को ऋषि के ऊपर दाल दिया जिससे ऋषि की तपस्या भंग हो गयी फिर ऋषि ने उसे श्राप दिया कि यही सांप जीवित होकर तेरी मुत्यु का कारण बनेगा और फिर कुछ दिन बाद परिशिचित कि सांप के काटने से म्रत्यु हों गयी
इसके बाद फिर परिशिचित का पुत्र ( जनमे ) शासक  बनता है  सांप से अपने पिता की मुत्यु का बदला लेने के लिए ओर जो श्राप दिया गया था उस ऋषि द्वारा उसको दूर करने के लिए उसने यहाँ पर सर्पदमन यज्ञ किया इसी के कारण इस क्षेत्र का नाम हुआ सर्पदमन जिसे अब वर्तमान से सफीदों के नाम से जाना जाता है यह एक इतिहासिक स्थल माना जाता है

हाटकेश्वर धाम

जींद जिले में हार्ट गांव में लगने वाला एक मेला इस मेले को प्रमुखता मानी जाती है क्योंकि यह 68 तीर्थो का मेला माना जाता है
यहाँ पर एक गुरुद्वारा है धमतरा साहिब
जब सीखो के 9वे गुरु गुरुतेग बहादुर मुगल सम्राज्य शासक यानी के ओरंगजेब के साथ लड़ने के लिए दिल्ली जाते थे क्योंकि ओरंगजेब सिखसमुदाये पर दबाव डालता हुआ पाया जाता है कि सभी सीखो को मुस्लिम बनाने पर बादय करता है
इसका विरोद करने के लिए जब तेग बहादुर दिल्ली जाते है उनसे लड़ने के लिए वहाँ उनकी म्रत्यु हो जाती है ओरंगजेब द्वारा उनका सिर अलग कर दिया जाता है
उससे पहले तेग बहादुर धर्मतरा गुरुद्वारा में रुके थे
सिख ओर हिन्दू धर्म के भाई चारे का प्रतीक गुरुद्वारा माना  जाता है जिससे समान रूप से हिन्दू ओर सिख दोनो धर्मो के लोग इसमे आते है

हसड हर 

इसको एक इतिहासक स्थल माना गया है
यहाँ पर माना जाता है भरमा जी की पहली उत्पति हुई तब सबसे पहले पृथ्वी पर प्रवेश किया उन्होंने तो वह नरवाना के हसड हर में प्रवेश किया
तो माना जाता है भरम जी
ये कपिल मुनि से भी संभंधित थे कपिल मुनि के पिता जी थे कर्दम की तपोभूमि माना जाता है

Jind पर्यटन सथल


बुलबुल झील


रानी तालाब

रानी तालाब इसे जींद के स्वर्ण मंदिर के नाम से भी जाना जाता है

प्रमुख मेले

मेला सच्चा सौदा

68तीर्थ मेला

दंतनसाहिब मेला

रामराय मेला यह सबसे प्राचीन तीर्थ स्थल माना जाता है और इसका संबंध है भगवान परशुराम से

एक बार भगवान परशुराम ने यहाँ पर यज्ञ का आयोजन किया था यह पर तप किया था काफी समय तक तो उस तप के कारण  रामराय को एक प्रमुखता का स्थान दिया गया और वर्तमान में यह एक प्रमुख स्थान है

पाण्डुपिंदरा मेला

 यह महाभारत कालीन से भरा जाता है यहाँ पांडवो ने अपने पूर्वजों का पिंड दान किया था इसी कारण इसको पाण्डुपीडार कहा गया

Jind नदी

जींद की प्रमुख नदी भाखड़ा नदी  मानी जति  है

मिट्टी

दोमट ओर काली यह पर पाई जाती है

फसल

सबसे प्रमुख फसल
गेंहू चावल गन्ना
कपास


उधोग

प्रमुख उधोग दुग्ध सयंत्र केंद्र
हरियाणा का सबसे पहला दुग्ध सयंत्र केंद्र है वीटा जो जींद में लगा था लक्ष्य दुग्ध सयंत्र यह भी जींद के कंडेला गाओ में सिथित है
इसके अलावा यह चीनी उधोग कपड़ा उधोग यहाँ के प्रमुख उधोग माने जाते है
प्रमुख राष्ट्रीय उधोग साइकिल उधोग

यहाँ पर education हेतु विश्वविधालय की स्थापना भी हुई है 

यह जींद शहर में ह

जींद जिले के प्रमुख व्यक्ति 

रामकिशन व्यास ये एक प्रसिद्ध साँगी थे

हरिकेश पटवारी  ये सांग परम्परा के कवि थे

ओर इनका सम्बंद उचाना गांव से माना जाता है

महवीर गुड्डू इसको हरियाणा में बम लहरी के नाम से जाना जाता है

कविता दलाल भारत की प्रथम महिला जो WWF की रेसलिंग बानी

यजवेन्दर चहल क्रिकेट जो बर्तमान में भारत की तरफ से खेल रहे है

चौधरी विरेंदर सिंह राजनैतिक राज्यसभा क्षेत्र है











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